पड़ोसन दीदी के साथ मजेदार चूत चुदाई-2

नेक्स्ट डोर गर्ल सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं सेक्स का पहला मजा लेने के लिए बेताब था. पड़ोस की एक दीदी से मेरी दोस्ती थी, पर वो मुझसे बड़ी थी.

मेरा नाम शुभ है. मैं आपको अपने पड़ोस में रहने वाली दीदी के साथ की चुदाई की कहानी सुना रहा था.

कहानी के पिछले भाग
इंटरनेट पर सेक्स का मजा लेने की कोशिश
में आपने पढ़ा था कि पीनू दी और मैं अकेले एक दिन घर में थे. फिर बातों ही बातों में उसने अपनी टी-शर्ट निकाल कर मेरे हाथ को अपने बूब्स पर रख दिया था.

अब आगे Next Door Girl Sex Kahani:

मैं- अरे दी, पागल हो क्या?
पीनू दी- क्यों तुमको तो मेरे साथ सेक्स करना था ना?

मैं- लेकिन …
पीनू दी- क्या लेकिन … कर ले, मैं रेडी हूँ. तुम भी करना चाहते हो, कर लो, एक चूत है और एक लंड … करते हैं चुदाई और क्या चाहिए?
मैं मुस्कुराते हुए बोला- ठीक है दी.

जैसा मैंने बताया था दी के बारे में कि वो बहुत कम शर्माती है, इसी वजह से वो सेक्स, चुदाई, लंड जैसे वर्ड्स मेरे सामने भी खुलेआम बोल रही थी.
उसके मुँह से ये सब मैं पहली बार सुन रहा था और उसी की वजह से मेरा उसको चोदने का और भी ज्यादा मन कर रहा था.

जैसे ही उसने हां बोला, मैंने अपना दूसरा हाथ भी उसके मम्मों पर रख दिया और हम दोनों एक दूसरे को देखने लगे.
टीवी का हल्का शोर और हमारी तेज़ सांसों के साथ दिल की धड़कने साफ़ सुनाई दे रही थीं.
ऐसा लग रहा था, जैसे सब अपने आप होता चला गया हो.

दीदी बोली- आज ये सब होगा, मैंने सोचा भी नहीं था, लेकिन तू मुझे चोदने के सपने रोज़ देखता होगा, ऐसा मुझे लग रहा है.
मैं- नहीं, ऐसा नहीं है. वैसे तो और भी लड़कियां हैं हमारे गांव में … लेकिन मैं ऐसा किसी के बारे में नहीं सोचता. तुम्हारे बारे में भी नहीं, पर मैं सेक्स करना जरूर चाहता था. लेकिन तुम बड़ी हो, तो डर लगता था कि कहीं किसी को बता ना दो … या मार भी न लगवा दो, बस इसी सबसे मेरी फटती थी.
ये कह कर मैं हंस दिया.

पीनू दी- हट पागल, मैं कुछ नहीं करती, तुझे बताने में क्या जाता … मैं क्या कोई भी हो, दिल की बात हमेशा बता ही देनी चाहिए वरना सामने वाले को पता कैसे चलेगा … और वो तुम्हारी फीलिंगस को कैसे समझेगा?
मैं- हां दी, सॉरी. अब से तुम जो सिखाओगी, मैं वही करूँगा. तुम सुपर हो, लव यू पीनू दी.

दी- हां, शाबास. लव यू टू. चल अब, शुरू कर. या ये भी मुझे ही सिखाना पड़ेगा!
वो हंसती हुई मेरी तरफ देखने लगी.

मैं- अरे, नो टेंशन पीनू दी, इस काम में तुम बस अब मज़े लो.

इतना बोल कर मैंने सीधा उसके होंठों पर किस कर लिया और हम दोनों की आंखें बंद हो गईं.
हम एक दूसरे में मदहोश होने लगे.
पीछे मूवी में रोमांटिक गाना चलने लगा था.

मुझे पता था कि शाम के 5 बजे से पहले कोई नहीं आने वाला … क्योंकि जब मम्मी अपने मायके जाती हैं, तो ये पता था कि उधर उनको देर तो लगती ही है. वहां से उनको मार्केट भी जाना था, तो मैं बिल्कुल रिलैक्स था और दी को किस किए ही जा रहा था.

पीनू दी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी.

लगभग 15 से 20 मिनट बाद हमने चूमाचाटी से खुद को फ्री किया.
वो बोली- मैं समझ सकती हूं कि हम दोनों का फर्स्ट टाइम है, लेकिन सोफे पर ही सब करना है क्या?

ये सुन कर मैं हंस पड़ा और वो भी.
मैं- अच्छा तो इसके लिए किस रोका?

पीनू दी- ऑफ कोर्स, चलो मुझे अपने बेडरूम में ले जाओ और फिर जमके चूसो, चाटो, चूमो, चोदो, चिल्लाओ … जो करो वो करो. आज हमारी गर्मी खत्म करने का दिन है, पता नहीं दोबारा मौका कब मिले?

मैं- हां दीदी, लेकिन तुम सीलपैक ही हो ना अभी तक?
दी- देख शुभ, प्लीज मुझे चोद दे पहले … फिर मैं तुझे सब बताऊंगी. अभी मेरी बात को समझ.

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ये बात पीनू दी ने इतनी इमोशनली बोली कि मैंने सीधा उसको उठाया और अपने बेड पर ले जाकर लुढ़का कर उसके ऊपर लद गया.

अभी मैं एक भी शब्द बोले बिना अपना काम कर रहा था.
उसने जो ब्रा पहनी थी, वो मैंने निकाल दी और उसके मम्मों को चूसने लगा.

दी के बूब्स के बारे में बताऊं, तो पहली बार मैंने किसी लड़की के मम्मों को छुआ था और देखा था.
उसके मम्मे छूने में बिल्कुल मुलायम और देखने में ऐसे रसीले थे, जैसे संतरे हों.

मैं उसके मम्मों को फील कर रहा था और हल्के से दबा भी रहा था, चूस भी रहा था.
हमारा फोरप्ले चल रहा था. घड़ी में 2 बजे थे.

मैं जो उसक़ी बॉडी के साथ कर रहा था, वो पीनू दी भी पूरी तरह से फील कर रही थी.

फिर धीरे धीरे मैं उसके होंठों के पास वापस आ गया और चूमने लगा, साथ में मैं बूब्स भी दबाये जा रहा था.
उसने कान में छोटे छोटे झुमके पहने हुए थे, उन झुमकों की आवाज़ और पीनू दी की सांसों की आवाज़ मेरे कानों में इतनी साफ़ सुनाई दे रही थी कि बस मन कर रहा कि ये सुख कभी खत्म ही ना हो.

सच में सेक्स करते समय हम स्वर्ग में होते हैं. ऐसा लोग, ऐसे ही नहीं कहते कि सेक्स का सुख वो क्या जाने, जिसने ये सुख लिया ही न हो.
वो सब मैं आज महसूस कर रहा था.

उस बीच मदहोश पीनू दी को जैसे थोड़ा होश आया. उसने तुरंत आंखें खोलीं और बोली- बस बहुत हुआ!
मैं डर गया कि कहीं मैंने कुछ गलत तो नहीं कर दिया कुछ … क्योंकि वो मेरा फर्स्ट टाइम था.

पीनू दी- यार … तू कहां था इतने सालों से?
वो इमोशनली होकर बोली.
इतना बोलते ही मेरे कुछ बोलने से पहले ही किस कर दिया. टाइट हग के साथ मुझे प्यार देने लगी.

फिर उसने मेरी टीशर्ट को उतारा, मैंने जो शार्ट पहना था, उसे भी उतार दिया, बस अंडरविअर बाकी रखी.

उसने कहा- जब मैं आई थी तब तो ये तूने नहीं पहनी थी. तेरा लंड हिलता हुआ दिख रहा था. फिर कब पहन ली?
मैंने हंस कर कहा- मैंने पहनी थी मगर वो ऊपर तक नहीं चढ़ पाई थी. इसीलिए तुमको मेरा लंड हिलता हुआ दिखाई दे रहा था.
वो हंसने लगी.

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मैं- अब इसे क्यों बाकी रखा?
दी- शुऊऊऊ चुप! … खुद ब खुद उतर जाएगी, तुम काम चालू रखो.

इतना बोलकर मैंने उसकी जींस के बटन को बड़े ध्यान से खोला और पैंट को नीचे खींचने लगा.

वहां एक कॉमेडी सीन हो गया, उसकी पैंट नीचे से बहुत टाइट थी, तो निकल ही नहीं रही थी. मैं पूरा जोर लगा रहा था. दीदी देख रही थी कि क्या करता है देखूं.

वो धीरे धीरे हंस भी रही थी.
दो मिनट हो गए थे, नहीं निकल रही थी.

दीदी से रहा नहीं गया और वो ज़ोर से हंस पड़ी- हा हा हा!
मैं- क्या हुआ?

दीदी- यही कर लो 5 बजे तक … सेक्स हम अगले जन्म में कर लेंगें!
मैं- तुम ऐसी पैंट पहनती ही क्यों हो? जल्दी निकल जाए, ऐसे पहना करो.

दीदी- अच्छा जी, अम्बानी तो बनना है लेकिन मेहनत नहीं करनी है.
मैं- मतलब?

दीदी- ये छोटी सी प्रॉब्लम है, खुद सॉल्व कर लो और चोद लो मेरी चूत को, रस पीना है, तो मेहनत तो लगेगी ही बेटा. जो करना है, वो करो लेकिन पैंट तो तुम्हें ही निकालनी पड़ेगी.

मुझे तुरंत आईडिया आया कि कैसे छपरी लड़के टाइट पैंट को निकालते हैं. तुरंत प्लास्टिक की एक थैली लाया, दीदी के पैरों में लगाई और फटाक से दोनों पैर निकाल दिए.
दी- शाबास मेरे शेर, चल अब बिल्ली मारने का टाइम आ गया है.

अब मुझे उसकी दोनों टांगें बिल्कुल नंगी दिखाई दे रही थीं और वो इतनी सॉफ्ट थीं कि क्या ही बोलूँ उनके बारे में!
पीनू दी की पूरी बॉडी ही सॉफ्ट थी.

मुझे गर्मी लग रही थी तो मैंने फैन चालू किया.
रूम में थोड़ा अंधेरा था लेकिन हल्की सी लाइट खिड़की के कांच से आ रही थी.

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उस रोशनी में बेड पर नंगी पड़ी पीनू दी का बदन कुंदन सा पूरा चमक रहा था जैसे कोई बेशकीमती हीरा हो.

हां मेरे लिए तो वो हीरा ही थी.
इतनी प्यारी लग रही थी मुझे वो कि क्या ही बताऊं शब्द नहीं हैं.
उसको भी मेरे बारे में शायद ऐसा ही फील हो रहा होगा.

फिर मैं सीधे बेड पर आया और पीनू दी के ऊपर लेट गया.
मेरा छोटे लाल फुल टाइट था, वो बस उसकी चूत को नमस्कार बोल रहा था.

हम दोनों एक दूसरे को गर्म करने में लग गए. हम दोनों ने अभी तक एक दूसरे की अंडरवियर नहीं उतारी थी.
हमारा मानना था कि टाइम आने पर वो खुद ब खुद उतर जाएगी.

उसकी और मेरी सांसों की आवाज़ पूरे रूम में गूंज रही थी. फ़ोरप्ले इतना अच्छा चल रहा था कि चुदाई हम भूल ही चुके थे.
दीदी को भी इतना अच्छे से ये सब कैसे आता था, ये अभी जानना बाकी था.

मैं उससे सब पूछ रहा था लेकिन उसको चुदाई पहले चाहिए थी इसलिए मेरा मुँह बंद करवा दिया था.
सब होने के बाद वो खुद से सब बताने वाली थी. जितना आप सब जानने में उतावले हो, मैं भी उतना ही था.

मैं उसकी नर्म टांगों पर हाथ फेरता तो कभी उसके पेट, नाभि में उंगली फेरता.
उसके कान के नीचे चूमते चूमते अपनी गर्म सांसें उसके गले पर छोड़ता.

वो कभी मेरे ऊपर आ जाती और मेरी पूरी बॉडी को अपनी जीभ से सहलाती, किस करती.

पीनू मेरी बॉडी के पसीने को सूंघती, जैसे नशेड़ी ड्रग्स खींचते हैं, वैसे सूंघ रही थी.
फिर वो प्यार से कान में आकर बोलने लगी- शुभू, चाहे जो हो जाए, आज किसी की परवाह मत करना, बस मुझे अपने लंड का सुख दे ही देना.

मैं भी बोल देता कि पीनू तू समझ नहीं सकती कि मैं आज कितना खुश हूँ. मैं आज तुझे नहीं छोड़ने वाला. तू बस देखती जा, तुझे मैं चुदाई का सुख देने में कोई कसर नहीं छोड़ूंगा।

सामने दीवार घड़ी में 2-40 का समय हो रहा था. हम दोनों गर्मी में भी एक दूसरे से चिपक रहे थे, पंखा चालू था, फिर भी हमें गर्मी का अहसास तक नहीं था.
जरा सोचकर देखिए, हमने एक दूसरे को कितना प्यार दिया होगा.

अब वो घड़ी आ चुकी थी, जिसका हमको बरसों से इंतज़ार था.
मैंने धीरे से अपना हाथ पीनू दी की पैंटी में डाल दिया.

वो कांप उठी और उसके मुँह से प्यार भरी आवाज निकल गई ‘अम्म आह शुभअह …’
पहली बार जब कोई चूत को या किसी भी अंग को वो भी प्यार से चाहे, फिर वो लड़की का हो या लड़के का, लेकिन मजा बहुत ही ज्यादा आता है.
क्यों सही कहा ना?

उसकी ये आवाज़ सुन कर मैं कंट्रोल खो बैठा.
दीदी की चूत पूरी गीली हो चुकी थी जो मेरी उंगली को पता चल रहा था.
उसकी पैंटी के ऊपर से भी गीला दिख रहा था.

मैं धीरे धीरे उसकी चूत के अन्दर उंगली चलाने लगा, उसकी सांसें और सिसकारियां तेज़ होने लगीं.

मैं उसकी पैंटी को ऊपर से ही सूंघने लगा.
ये सिलसिला चल रहा था लेकिन धीरे धीरे तेज़ भी हो रहा था.

अब पीनू दी इतना बेबस हो चुकी थी कि उसे कुछ भान नहीं था.
जैसे शराब पीकर हाल होता है, वैसे ही पीनू दीदी का भी हाल हो चुका था.

उसी मदहोश हालत में वो उठी और मुझे धक्का देकर लेटा दिया.
उसने मेरे लंड को ज़ोर से अंडरवियर के ऊपर से ही दबा दिया, साथ ही दूसरे हाथ से मेरा वो हाथ पकड़ लिया जो उसकी पैंटी में था.

वो मेरे हाथ को मेरी नाक के सामने लायी और मुझे सुंघाने लगी.
मैं उसकी चूत की खुशबू को महसूस कर रहा था.
उसका नशा ही एकदम अलग था. कोई भी नशा उसकी चूत की खुशबू का मुकाबला नहीं कर सकता था.

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फिर पीनू दी ने मेरी उंगली को मेरे मुँह में चूसने दे दी और वो खुद भी एक उंगली चूसने लगी.
उसी के साथ वो मेरे लंड को बहुत ही तेज़ी से हिला भी रही थी.

अब जंग के लिए हम दोनों एकदम रेडी थे. हमारे हथियार भी और सैनिक भी एकदम रेडी थे.

मैंने खुद को जैसे तैसे खुद को पीनू दी के चंगुल से छुड़ाया और उठ खड़ा हुआ.
वो बेड पर ऐसे मचल रही थी, जैसे कोई मछली बिन पानी के किनारे छटपटा रही हो.

मुझसे पीनू दी की हालत देखी नहीं जा रही थी. वो पूरी मदहोश थी और प्लान के मुताबिक अंडरवियर उतारना नहीं था.
मैंने अपना लंड चड्डी के होल से बाहर निकाला और दी की दोनों टांगों को फैला कर में बीच में बैठ गया.

पीनू दी- यार मुझे प्राउड है तेरे पर, तू बहुत मस्त है … चल अब जल्दी से डाल दे … मुझसे रहा नहीं जा रहा है.
मैं- ठीक है, प्रॉमिस करता हूँ पीनू दी तुमको दर्द नहीं होने दूंगा और आगे भी कभी दुखी नहीं करूँगा.

इतना बोल कर मैंने उसकी पैंटी की छोटी सी लाइन होती है ना चूत के होल के पास, वहां से उसे साइड किया और अपना लंड रख कर धीरे से सैट कर दिया.

हम दोनों को पता था कि फर्स्ट टाइम है तो दर्द तो होने ही वाला है देसी गर्ल को सेक्स में.

अभी तक न उसने मेरा लंड देखा था न और ना ही मैंने उनकी चुत.
वैसे मेरे लंड के बारे में बताऊं तो वो 6 इंच का है और मोटा भी है. जब वो दीदी की चूत के अन्दर जाएगा, तभी उसको लंड का साइज़ पता चलेगा.

मैं बस उसकी चूत पर अपने लंड को रगड़ रहा था, वो मदहोशी में थी.

मैंने उससे पूछा- दीदी, तुमको ज़ोर से चिल्लाना आता है न!

दीदी बोली- हां, क्यों? चिल्लाऊं क्या?
मैं- हां.

मेरे हां बोलते ही वो चिल्लाई और उसी टाइम मैंने ज़ोर का धक्का मार कर मेरा पूरा लंड उसकी चूत में ऐसे ठांस दिया, जैसे कोई तीर हवा को चीरता निकल गया हो. लंड अन्दर पेलते ही मैं तुरंत उसके ऊपर लेट गया.
उसकी आवाज़ इतने ज़ोर से सुनाई दी कि किसी को भी पता चल जाए कि कुछ तो हुआ है.

मैं किस करके उसकी आवाज़ रोक सकता था या उसके मुँह में कपड़ा ठूंसकर, लेकिन उसकी पहली चुदाई की आवाज़ बजनी तो चाहिए ही, ताकि ज़िन्दगी भर याद रहे.
जहां तक मैं दीदी को जानता हूँ, तो वो भी यही चाहती थी.

मैं उसके ऊपर लेटे हुए उसकी आंखों में देख रहा था.
उस एक चीख के बाद पीनू दी ने खुद पर बहुत कंट्रोल किया, ये साफ पता चल रहा था.
फिर भी वो कुछ नहीं बोली, न उसकी आंखों से आंसू निकले. वो बस होंठों पर हल्की सी स्माइल दे रही थी.

हम दोनों ने आंखों ही आंखों में एक दूसरे से बातें कर लीं और दर्द जान लिया.
थोड़ी ही देर बाद दी बोली- उठ, टेंशन न ले … और शुरू कर अपनी मशीन!

उसकी हामी मिलते ही हम दोनों की खुशी के लिए मैंने उसको चोदना शुरू कर दिया.

दोस्तो, कहानी ज्यादा लंबी हो गई है, फिलहाल ये यहीं पर रोक रहा हूँ. क्योंकि अभी जो मज़ा चुदाई में है, वो पूरा बाकी है, उसे मैं अगले पार्ट में लाऊंगा.

अभी बहुत कुछ बाकी है. पीनू दी भी आप सबसे कुछ कहना चाहती है, तो उसके लिए इतंज़ार कीजिए.
इस नेक्स्ट डोर गर्ल सेक्स कहानी को अपना बहुत सारा प्यार भी दीजिए प्लीज़.
मुझे [email protected] पर मेल करके बताएं.

नेक्स्ट डोर गर्ल सेक्स कहानी का अगला भाग:

Video: चूँचियाँ हैं या तोतापरी आम ?